बदतमीज़ सपने
रोज़ रात को
चले आते हैं
सीना तान कर
और सुबह होते ही
निकल लेते हैं
मूंह चिढ़ा कर
क्योंकि
बंद मुट्ठी का
छोटा सा कमरा
कमतर है
बड़े सपनों की
हैसियत के सामने।
©यशवन्त माथुर©
रोज़ रात को
चले आते हैं
सीना तान कर
और सुबह होते ही
निकल लेते हैं
मूंह चिढ़ा कर
क्योंकि
बंद मुट्ठी का
छोटा सा कमरा
कमतर है
बड़े सपनों की
हैसियत के सामने।
©यशवन्त माथुर©
2 comments:
हर रात चिढ़ा कर चले जाते हैं सपने..
simply superb.
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