Friday, February 1, 2013

अजीब सी सुबह

कभी अलसाई होती है
कभी मुसकुराई होती है
कभी धुंध में दबी होती है
कभी धूप छाई होती है

सुनाती है कभी
सैर को जाती चिड़ियों के तराने
या बिखराती है खुशबू
खिले फूलों के बहाने

बदलते मौसम के रंगों की
अपनी एक कहानी होती है
हर अजीब सी सुबह
खुद मे सुहानी होती है।
  
©यशवन्त माथुर©

2 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

बहुत सुन्दर..

Unknown said...

sundar Aabhivyakti..badhai
"Ye fitrat nhi humari " nayi Rachna par apka swagat hai

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