कभी अलसाई होती है
कभी मुसकुराई होती है
कभी धुंध में दबी होती है
कभी धूप छाई होती है
सुनाती है कभी
सैर को जाती चिड़ियों के तराने
या बिखराती है खुशबू
खिले फूलों के बहाने
बदलते मौसम के रंगों की
अपनी एक कहानी होती है
हर अजीब सी सुबह
खुद मे सुहानी होती है।
©यशवन्त माथुर©
कभी मुसकुराई होती है
कभी धुंध में दबी होती है
कभी धूप छाई होती है
सुनाती है कभी
सैर को जाती चिड़ियों के तराने
या बिखराती है खुशबू
खिले फूलों के बहाने
बदलते मौसम के रंगों की
अपनी एक कहानी होती है
हर अजीब सी सुबह
खुद मे सुहानी होती है।
©यशवन्त माथुर©
2 comments:
बहुत सुन्दर..
sundar Aabhivyakti..badhai
"Ye fitrat nhi humari " nayi Rachna par apka swagat hai
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