Saturday, February 16, 2013

महसूस करना मुफ्त है.....

इस बारिश में भी
वो जुटा हुआ है
बड़ी तन्मयता से
कूड़े के ढेर में 
ढूँढने में
'कुछ मतलब  की चीज़'
और अपने कमरे में
बैठ कर
मैं सिर्फ
महसूस कर सकता हूँ
उसकी भूख को
क्योंकि
महसूस करना
मुफ्त है
और कुछ किए बिना।

©यशवन्त माथुर©

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