इस बारिश में भी
वो जुटा हुआ है
बड़ी तन्मयता से
कूड़े के ढेर में
ढूँढने में
'कुछ मतलब की चीज़'
और अपने कमरे में
बैठ कर
मैं सिर्फ
महसूस कर सकता हूँ
उसकी भूख को
क्योंकि
महसूस करना
मुफ्त है
और कुछ किए बिना।
©यशवन्त माथुर©
वो जुटा हुआ है
बड़ी तन्मयता से
कूड़े के ढेर में
ढूँढने में
'कुछ मतलब की चीज़'
और अपने कमरे में
बैठ कर
मैं सिर्फ
महसूस कर सकता हूँ
उसकी भूख को
क्योंकि
महसूस करना
मुफ्त है
और कुछ किए बिना।
©यशवन्त माथुर©
2 comments:
sach kaha aapne
मार्मिक..
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