Tuesday, February 12, 2013

सीने में छुपाये फिरती हूँ 
वो दाग जो तुमने दिए

अश्कों के सहारे धोती हूँ 
जो घाव तुमने दिए

जहाँ भी नज़र जाए
सिर्फ तन्हाई और दर्द 

आज बन गया वो गैर
जो कभी था अपना

बहोत भूलना चाहती हूँ
पर भूल नहीं पाती हूँ

कुछ कडवी यादों को
और चंद मुलाकातों को

5 comments:

deepti sharma said...

waah bahut khub

प्रवीण पाण्डेय said...

कहाँ भूली जाती हैं,
यादें जो आती हैं।

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत खूब!

Mahesh Barmate "Maahi" said...

शानदार :)

दिगम्बर नासवा said...

आसान नहीं होता भूलना ... उम्र बीत जाती है पर यादें पीछा नहीं छोड़तीं ...

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