चिमटा चला के मारा, बेलन घुमा के मारा
फिर भी बचे रहे तो, भूखा सुला के मारा
बरसों से चल रहा है, दहशत का सिलसिला ये
बीवी ने जिंदगी को, दोजख बना के मारा
कैसे बतायें कितनी मनहूस वो घडी थी
इक शेर को है जिसने शौहर बना के मारा
वैसे तो कम नहीं हैं हम भी यूं दिल्लगी में
उसपे निगाह अक्सर उससे बचा के मारा
चर्चित को यूं तो दिक्कत, चर्चा से थी नहीं पर
बीवी ने आशिकी को मुद्दा बना के मारा
- विशाल चर्चित
5 comments:
लाजवाब!
होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
सादर
होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
हृदयस्पर्शी भावपूर्ण प्रस्तुति.बहुत शानदार भावसंयोजन .आपको बधाई.होली की हार्दिक शुभ कामना .
ना शिकबा अब रहे कोई ,ना ही दुश्मनी पनपे
गले अब मिल भी जाओं सब, कि आयी आज होली है
प्रियतम क्या प्रिय क्या अब सभी रंगने को आतुर हैं
हम भी बोले होली है तुम भी बोलो होली है .
बहुत खूब..
बहुत मस्त रचना ...
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