ये बचपन की
मासूम सी मुस्कुराहट
बनी रहे यूं ही
तो अच्छा है
यूं तो खुदा की नेमत हूँ
माँ-पापा की गोद में
वह भी मुसकुराते रहें
तो अच्छा है
ये दौर न जाने कहाँ
दौड़ा कर ले जाएगा
दिन बीतते जाएंगे और
बचपन याद आएगा
खामोशी रोज़ ही टूटे
तो अच्छा है
ये मुस्कुराहट कभी न छूटे
तो अच्छा है
अच्छा है मुसकुराता रहे
ये पूनम का चाँद
मावस कभी न हो यहाँ
तो अच्छा है।
~यशवन्त माथुर©
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