Wednesday, May 29, 2013

क्या वजह क्या वजह कहर बरपा रहे.......

क्या वजह क्या वजह कहर बरपा रहे
मेहरबां - मेहरबां से नजर आ रहे

ये दुपट्टा कभी यूं सरकता न था
आज हो क्या गया यूं ही सरका रहे

चूडियां यूं तो बरसों से खामोश थी
बात क्या है हुजूर आज खनका रहे

यूं तो चेहरे पे दिखती थीं वीरानियां
औ अचानक बिना बात मुस्का रहे

दिल ये 'चर्चित' का यूं ही बडा शोख है
देख लो आप ही इसको भडका रहे

- विशाल चर्चित

2 comments:

अरुन अनन्त said...

हृदयस्पर्शी ग़ज़ल विशाल भाई... आपकी यह रचना कल बृहस्पतिवार (30 -05-2013) को ब्लॉग प्रसारण के "विशेष रचना कोना" पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

shalini rastogi said...

बढ़िया प्रस्तुति विशाल जी!

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