Friday, July 25, 2014

जब मैं प्रेम लिखूंगी
अपने हाथों से,
सुई में धागा पिरो
कपड़े का एक एक रेशा सिऊगी
तुम्हारे लिये
मजबूती से कपड़े का
एक एक रेशा जोडूंगी
और जब उसे पहनने को बढ़ेगे
तुम्हारे हाथ
तब उस पल
उस अहसास से
मेरा प्रेम अमर हो जायेगा..
ⓒ दीप्ति शर्मा

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