मैं इक तारा हूँ और
टूटकर बिखर गया हूँ |
कभी चमका करता था ,
हँसता था आसमां मे ,
आज किसी की ख़ुशी के लिए
अपना वजूद खोकर
जमीं पर उतर गया हूँ ,
टूटकर बिखर गया हूँ |
दे दिया है सब कुछ
पर मिला तो कुछ नही है ,
उसकी तमन्ना पूरी करने ,
आसमां से गिर गया हूँ ,
टूटकर बिखर गया हूँ |
जब देखा था उसने
कुछ उम्मीद लिए मुझे ,
आंसू जो बह रहे थे उसके
उन आंसुओ की खातिर
मैं जमीं से मिल गया हूँ |
टूटकर बिखर गया हूँ |
-दीप्ति शर्मा
www.deepti09shrarma.blogspot.com
1 comment:
choo gaee dil ko aapkee kavita .
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