कहीं घोटाला , कहीं हवाला,
आतंक ने देश खंगाला,
बारूद पर बैठा अपना देश,आतंक ने देश खंगाला,
जात-पात, वेश-भूषा में दिया सन्देश;
भूल गए हम हैं भारतवास,
कोई बिहारी, कोई मराठी, कोई है मद्रास;
चारो तरफ बैर और द्वेष,
प्यार कहाँ जब....बैठे प्रदेश;
संयुक्त से एकल हुए,
दादा-दादी, चाचा-चाची,
अब बीते कल हुए;
मांस-मदिरा में डूबा संसार,
सात्विकता का लुटा बाज़ार;
आजाद है हम.....
पर खुद को कैसे बताये,
कितने बर्बाद है हम;
गाँधी सुभाष ने देखी थी जो तस्वीर,
सब ताक पर रख गए, आज के वीर;
नेताओं ने किया देश का बंटा धार,
पर इसके, हम खुद ही जिम्मेदार |
कवि परिचय:
सुमीत सिन्हा
गिरिडीह
झारखण्ड
3 comments:
Swatantrata diwas kee anek shubh kamnayen!
स्वतंत्रता दिवस पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
आशा
bahut khub likhatay hai aap shahab
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