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Friday, August 19, 2011
हमें देखकर जो खिलती थीं, उन आंखों में नीर क्यूं
अमृत-पान कराया जिसने, उस छाती में पीर क्यूं
भूल गए जो खुद का जीना, अपने बच्चों की खातिर
उनके अरमानों पर प्रीतम, संतानों का तीर क्यूं
कुंवर प्रीतम
1 comment:
केवल राम
said...
मर्मस्पर्शी .....!
August 19, 2011 at 8:52 AM
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मर्मस्पर्शी .....!
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