Tuesday, September 20, 2011

सीधे दिल से

1.तेरे मना  करने पर ,
तेरा नाम नहीं बताया मैंने ,
ना किसी के बहकाने पर ,
ना किसी  के धमकाने पर ,
वो तो महफ़िल में दोस्तों ने इतनी पिला दी 
के नशे में सच्चाई लबो पर आ गई .


2 .सिर्फ प्यार का इज़हार ही  तो किया था हमने ,
उसने गुस्ताखी मान ली ,
उसके चेहरे के तारीफ़ ही तो करी थी हमने ,
उसने  तो हमें साकी समझ लिया 

3 .हर मुश्किल आसन होगी ,
जब होसलो की उड़ान होगी 
तुफानो से भी निकल लायेंगे कश्ती 
अगर हिम्मत साथ होगी 
(चिराग )

2 comments:

Amrita Tanmay said...

खूबसूरत कविता

संजय भास्‍कर said...

तारीफ के लिए हर शब्द छोटा है - बेमिशाल प्रस्तुति - आभार.

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