Tuesday, February 21, 2012

मोहब्बत भी अज़ीब हैं


मोहब्बत भी अज़ीब हैं....
उसकी मुस्कान से हो जाती हैं
और उसकी आंखो मे खो जाती हैं

मोहब्बत भी अज़ीब हैं....
दिल की सुन लेती हैं
ख्वाब बुन लेती हैं

मोहब्बत भी अज़ीब हैं....
लफ्जो का सहारा लेती हैं.
और लबो को बंद कर देती हैं.

मोहब्बत भी अज़ीब हैं....

(चिराग)

13 comments:

vidya said...

सो तो है...
मगर बड़ा हसीं एहसास है मोहब्ब्त..
और आपकी रचना भी..

संजय कुमार चौरसिया said...

sundar rachna

Anonymous said...

@vidya thanks ..for appreciation

Anonymous said...

@sanjay
thanks bhai

प्रवीण पाण्डेय said...

सच है, अजब है मुहब्बत..

ज्योति सिंह said...

ishk ne hame kahi ka nahi chhoda phir bhi ishk ko hamne kabhi nahi chhoda .kyonki ye ek pavan ahsaso ki kahani hai ,isliye adbhut hai ,sundar .

mridula pradhan said...

bahut achchi likhi hai.....

Bharat Bhushan said...

मोहब्बत पर टिप्पणी करना आसान नहीं लेकिन आपकी रचना यह कर रही है. मैं आपकी पोस्ट पर टिप्पणी करके संतुष्ट हो रहा हूँ.

कविता रावत said...

और इस अजीब चीज का नशा ही कुछ और है ..
बहुत बढ़िया प्रस्तुति ..

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

वाह...वाह...वाह...
सुन्दर प्रस्तुति.....बहुत बहुत बधाई...

महेन्‍द्र वर्मा said...

यह क्रम अनवरत गतिमान है...
अच्छी कविता।

Noopur said...

Ya sure...i'll remove it...but i didnt found you on my followers list.....??

Unknown said...

अच्छा लिखा है आपने

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