Saturday, June 16, 2012

टूटना

टूटना
एक शीशे का हो
सपने का हो
या रिश्ते का हो

टूटना
दिल का हो
बात का हो
या वादे का हो

टूटना
कसमों का हो
रस्मों का हो
या तिलिस्मों का हो

अच्छा होता है
कुछ चीजों का टूटना
और टूट कर बिखरना
उस एहसास के लिये
कि जुड़ना
आसान नहीं होता।


©यशवन्त माथुर©

2 comments:

दिगम्बर नासवा said...

Kai baar tootna isliye Bhi achhaa hota ki ... Naye rishte, ehsaass jode jaa saken ...
Bahut khoob likha hai ...

प्रवीण पाण्डेय said...

पुरानी टूट को जोड़ना कठिन है, नयी संभावनायें सरल हैं..

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