कितनी आसानी से सबको टोपी पहना देता है
जालिम दिल्ली वाला दिल सबको बहला देता है
जेब से लेकर चूल्हे तक सब पर पहरेदारी है
जली रोटियां खाने बैठो, वह भी मंगवा लेता है
एक पहेली आज तलक समझ न पाया हिन्दोस्तां
सत्ता में आते ही नेता झोली भरवा लेता है
चिकना चाबुक पीठ के पीछे, और लबों पर मीठे बोल
भारत मां को गैर की खातिर गिरवी रखवा देता है
-कुंवर प्रीतम
7-10-2012
6 comments:
समसामयिक रचना
शब्दों की जीवंत भावनाएं... सुन्दर चित्रांकन....बहुत खूब
बेह्तरीन अभिव्यक्ति
आज के समय की रचना, सुंदर
सादर
आकाश
वाह भई वाह ...
सटीक :-)
सारे देश पे टैक्स लगा कर मौज उड़ाती है दिल्ली १
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