Thursday, February 14, 2013

मेरे लिए मुमकिन नहीं!

कभी कभी
औरों की तरह
मैं भी कोशिश करता हूँ
प्यार पर लिखने की
प्यार को परिभाषित करने की
‘तुम’ से ‘मैं’ की बात कहने की
दिल के भीतर हिलोरें लेते
बसंत की कुछ सुनने की
महसूस करने की
पर बुद्धि और सोच का छोटापन
समझने नहीं देता
कि प्यार क्या है
सिवाय इसके
कि प्यार सिर्फ प्यार है
जिसे शब्द देना
मेरे लिए मुमकिन नहीं!
©यशवन्त माथुर©

2 comments:

deepti sharma said...

bahut khub
pyar ek shabd nhi ahsas hai
do dilo mai jalti ek aas hai

प्रवीण पाण्डेय said...

व्यक्त करने की ध्वनि है प्रेम..

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