Sunday, February 3, 2013

उजालों की तलाश में हूँ


ज़फर पथ पर चल रही
बिरदैत होने की फ़िराक में हूँ
अभी चल रही हूँ अँधेरों पर
मैं उजालों की तलाश में हूँ ।

क़यास लगा रही जीवन का
अभी जिन्दगी के इम्तिहान में हूँ
ख्वाबों में सच्चाई तलाशती
मैं उजालों की तलाश में  हूँ ।

अल्फाज़ लिखती हूँ कलम से
आप तक पहुँचाने के इंतज़ार में हूँ
उलझनों को रोकती हुयी
मैं उजालों की तलाश में हूँ ।

परछाइयों को सँभालते हुए
गुज़रे वक़्त की निगाह में हूँ
उनसे संभाल रही हूँ कदम
मैं उजालों की तलाश में हूँ ।

- दीप्ति शर्मा


5 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

तमसो मा ज्योतिर्गमय..

दिगम्बर नासवा said...

उजालों की तलाश निरंतर जारी रहती है ...

Madan Mohan Saxena said...

very true.

Unknown said...

bahut sundar Rachna ....
http://ehsaasmere.blogspot.in/2013/01/blog-post_31.html

Rajendra kumar said...

हर कोई उजाले की तलाश में अग्रसर है,सुंदर रचना।

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