ज़फर पथ पर चल रही
बिरदैत होने की फ़िराक में हूँ
अभी चल रही हूँ अँधेरों पर
मैं उजालों की तलाश में हूँ ।
क़यास लगा रही जीवन का
अभी जिन्दगी के इम्तिहान में हूँ
ख्वाबों में सच्चाई तलाशती
मैं उजालों की तलाश में हूँ ।
अल्फाज़ लिखती हूँ कलम से
आप तक पहुँचाने के इंतज़ार में हूँ
उलझनों को रोकती हुयी
मैं उजालों की तलाश में हूँ ।
परछाइयों को सँभालते हुए
गुज़रे वक़्त की निगाह में हूँ
उनसे संभाल रही हूँ कदम
मैं उजालों की तलाश में हूँ ।
- दीप्ति शर्मा
5 comments:
तमसो मा ज्योतिर्गमय..
उजालों की तलाश निरंतर जारी रहती है ...
very true.
bahut sundar Rachna ....
http://ehsaasmere.blogspot.in/2013/01/blog-post_31.html
हर कोई उजाले की तलाश में अग्रसर है,सुंदर रचना।
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