Saturday, June 8, 2013

रचना

 रचना क्या है??
आत्मा से निकले शब्द
या कुछ भाव
है ये आध्यात्मिकता
अन्तरात्मा से निकले भाव की
क्या दब सकती है??
या कोई मार सकता है??
मेरी रचना को
रचना के भाव को
जो कोमल है
बहती हुयी एक नदी है
जो निरंतर चलती है
कभी पुराणों का व्याख्यान
और मिथों को दुत्कारती
इस रचना को
कोई मार सकता है??
मंद हवा सी बहती
दिलों को छूती
दिगन्तों में बिखर
फूलों सी महकती है
क्या ये महक कोई
चुरा सकता है??
क्या मार सकता है??
मेरी रचना को
नहीं ना!!
कोई नहीं मार सकता
कभी भी
ये उज्जवल है औऱ रहेगी ।
© दीप्ति शर्मा

5 comments:

अरुन अनन्त said...

आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (09-06-2013) के चर्चा मंच पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ

कालीपद "प्रसाद" said...

बहुत सुन्दर प्रभावी प्रस्तुति!

अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
latest post: प्रेम- पहेली
LATEST POST जन्म ,मृत्यु और मोक्ष !

रचना दीक्षित said...

सुंदर भावपूर्ण रचना.

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

बहुत उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
@मेरी बेटी शाम्भवी का कविता-पाठ

Unknown said...

Very well written.
vinnie

LinkWithin

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...