Wednesday, August 17, 2011

मेरी जिंदगी


मिली थी कभी
जिंदगी मुस्कुराकर |
मेरा साथ दे 
ख्वाबो में समाकर |
अपने अश्को को 
मेरी आँखों से बहाकर |
ख़ामोशी से अपनी 
मुझे तड़पाकर|
चली गयी वो 
कहना तो चाहती थी
पर खामोश हो
गयी मुझे रुलाकर|

- दीप्ति शर्मा
www.deepti09sharma.blogspot.com

6 comments:

केवल राम said...

काश जिन्दगी में ऐसा हो पाता ......!

Dorothy said...

खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
सादर,
डोरोथी.

Urmi said...

सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने! दिल को छू गई !

deepti sharma said...

aap sabhi ka bahut bahut aabhar

Dr (Miss) Sharad Singh said...

सुन्दर संवेदनशील अभिव्यक्ति...

डॉ. दिलबागसिंह विर्क said...

आपकी पोस्ट आज चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई ,
कृपया पधारें
चर्चा मंच

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